Friday, May 5, 2017

गवां बैठे


दीद गवां बैठे या ख्वाब गवां बैठें
या पूनम का महताब गवां बैठें!
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तूफ़ां में उड़ गया कोई पत्ता जैसे
यूँ उनके होने का रुआब गवां बैठें!
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झूठी चमक इस तरह रास आयी
सच्ची का लब्बोलुआब गवां बैठें!
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उनसे बिछड़े तो एहसास हुआ
कि ज़िन्दगी हम जनाब गवां बैठे
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'शब्दभेदी' चंद 'वाह' के चक्कर में
हो मूरख तुम 'लाजवाब' गवां बैठे!