Friday, November 11, 2016

मुन्तजिर

हां हूँ मैं मुन्तजिर
लेकिन
मुझे इंतजार नहीं तेरा।

उलझने लाख है
लेकिन
दिल बेकरार नहीं मेरा।

बेशक बेशकीमती है तू
लेकिन
मैं अब तलबगार नहीं तेरा।

सजा रक्खी हैं हसरतों की दुकानें
लेकिन
कोई खरीददार नहीं मेरा।

'शब्दभेदी' हुआ यूँ तो बहुतों का अजीज
लेकिन
कोई तरफदार नहीं मेरा ।

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