Friday, November 4, 2016

मन के जीते जीत

मेरे जीवन के संघर्षों,
पल-छिन आओ, हर दिन आओ
सत बार तुम्हारा आवाहन है।

गांजते जाओ विपदाएं मुझपर
नहीं झुका हूँ, नहीं झुकूंगा
साहस मेरा न डिगाय मान है।

और ठोकरे देते जाओ,
अभी खड़ा हूँ, खड़ा रहूंगा
अभी तो मुझमें यौवन है।

कल वृद्ध अगर हो जाऊं तो क्या,
डटा रहा हूँ , डटा रहूंगा
अडिग रहना मेरा जीवन है।

'शब्दभेदी' मात मुझे देगा कौन!
विजयी रहा हूँ, विजयी रहूंगा
क्योंकि विजयी हमेशा मेरा मन है।

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