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बचपने से लेकर जवानी और फिर दर्द-ए-जुदाई से लेकर महखाने में डूबी शाम तक को तुम अपनी कोहरे की धुंध में साथ लिए उड़ते रहे । यादों का ऐसा पाला मारे हो न तुम कि आदमी अंगीठी-अलाव में घुस के बैठ जाए फिर भी ये ठिठुरन नहीं जाती।
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तुम ना... लियोनार्दो द विन्ची की मोनालिसा की तरह हो । मने आदमी तुमको जिस मूड़ में देखे वैसे ही दिख जाते हो ! आदमी खुस है तो तुम्हारी सुबह अलाव और अंगीठी की गर्माहट के साथ होती है और तुम्हारी दोपहर की गुनगुनी धूप शाम के अलाव जलने तक इस गर्माहट को कायम रखती है ।
और हमारी तरह मनहूस लोगों के लिए तो क्या जनवरी क्या दिसम्बर !
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तुम्ही ने सलमान को लांच करके हॉटनेस बढ़ा दी और तुम्ही ने दुनियां के सारे मनहुसों का हौसला अफ़जाई करने के लिए ग़ालिब को उतारा था। अपनी तरह के इकलौते हो बे तुम 'एकदम यूनिक' !
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सुन भाई अपनी तो फितरत है जाते हुए से दिल लगा लेने की.. प्यार हो गया तुमसे.. हर बार की तरह सच्चा वाला प्यार..! हर बार की तरह इजहार भी कर रहा हूँ खुल्लम-खुल्ला 'लव यू दिसम्बर' !