Wednesday, August 16, 2017

बद्दुआएं

किसी राह में जब मुश्किलें बेशुमार होती है,
ज़िन्दगी बस ज़िन्दगी की तलबगार होती है।
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मुसलसल कोशिशें नाकाम होती जा रहीं मेरी,
कुछ बददुआएं भी कितनी असरदार होती है।
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अच्छे भले को भी मियां कर देती है मजबूर,
मुफलिसी की आदत ना बड़ी बेकार होती है।
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रोटी, कपड़ा औ मकान इतनी सी है दुनिया
गरीब की ख्वाहिश कितनी समझदार होती है।
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डुबा देगी माझी को आखिर वक्त पे वो ही
कस्ती जो ताउम्र समंदर में मददगार होती है!
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उल्फतों, आफ़तों और मुसीबतों  की आंधी में
जो रखे हौसला उसी की नईया पार होती है।
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- शब्दभेदी

नोट- फोटू में जो शेर है वो उन अजीजों को सुपुर्द है जिन्होंने दिल से बद्दुआ दी है। हाल ही में #sarahah पर और पहले भी दिल ही दिल में.. मालूम हो कि आपकी बद्दुआ कबूल हो रही है 😊

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