लिखना है तो लिख डालो सोचते क्या हो,
ख्वाहिशें हैं, कोई विवादित बयान थोड़ी है।
खरचो जितना खरच सको खुद को
ज़िन्दगी है, कोई बनिये कि दुकान थोड़ी है।
बहकाते है सब, तुम भी बहक जाते हो,
सितारों के आगे कोई जहान थोड़ी है।
'शब्दभेदी' अपने हिस्से का अपने आप से बनालो,
इस पउवे के शहर में तुम्हारी पहचान थोड़ी है।
No comments:
Post a Comment