Monday, June 12, 2017

मैं भी तो इक दिल रखता हूँ!

मैं जो सबका दिल रखता हूँ,
मैं भी तो इक दिल रखता हूँ!
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हां दिल कितना भी तन्हा हो
चेहरे पर महफिल रखता हूँ!
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चेहरा जितना सुलझा दिखता है
दिल में उतनी मुश्किल रखता हूँ!
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डूब न जाऊं हिज्र के दरिया में
यादों का अपना साहिल रखता हूँ!
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उठना-गिरना, गिरकर उठना
यूँ इरादे मुस्तकिल रखता हूँ!

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शब्दभेदी

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