Monday, June 12, 2017

चाँद















रात अंसुवन से
गीला हो गया था 'चाँद'
.
अहाते के डारे पर
सूखने को टांग कर
सो गया था मैं!
.
सवेरे नींद खुलते ही
अधखुली आंखों ने देखा..
.
उसका चाँद
वक़्त की आंधी में
दूर उड़ता जा रहा था!
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शब्दभेदी

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