सोचो जरा बिना किसी शख्स के उसकी परछाईं रहती है क्या!
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8 या 9 का रहा होऊंगा...
मेरी असीमित बदमाशियों की वजह से उन दिनों मुझ पर कभी प्यार-दुलार न दिखाने वाले बाउजी एक दिन काम से आते ही अचानक मुझसे लिपटकर रोने लगते हैं।
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मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था लेकिन गम्भीर स्वभाव के अपने बाउजी को बेतहासा रोता देखकर बाल मन विगलित हो उठता है और मेरी भी अश्रु धाराएँ फूट पड़ती हैं।
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अम्मा ने भी रोते हुए जब पूछना चाहा तो रुदन की अस्पष्ट आवाज में ही उन्होंने कुछ कहा और जवाब सुनकर अवाक वह भी जमीन पर बैठ गयी।
हम तीनों के रोने की आवाज सुनकर छोटी दीदी Kiran भी बगल वाले कमरे से दौडकर आती है और अम्मा से लिपटकर वह भी रोने लगती है।
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मैं बाउजी का जवाब सुन तो नहीं पाया था लेकिन मुझे इतना जरूर समझ में आ गया था कि जरूर कोई बड़ी क्षति हुई है वरना मेरे पर्वत से विशाल हृदय वाले पिता को छोटी-मोटी मुसीबतें कभी हिला नहीं सकती थी।
दरअसल मुम्बई से दादा जी के देहांत की खबर आई थी....
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आसपास के लोग इकट्ठा होने लगे, परिवार के अन्य लोग जो सूरत में ही रहते थे आने लगे।
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लोगों के बार-बार पूछने से काफी देर बाद मुझे भी समझ में आया कि दादा जी नहीं रहे। जब मुझे इस दुःख की घड़ी का कारण पता चला तो मन के सागर में एक बार फिर आसुओं की लहरें उठी...
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उस दिन मैं एक पल के लिए बाउजी की गोद से अलग नहीं होना चाहता था, हालाँकि दादाजी का पार्थिव शरीर जल्द ही मुम्बई से लेने जाना था इसीलिए जैसे तैसे लोगों ने मुझे बाउजी से अलग किया।
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अब सबकुछ बदल गया था न मैं पहले जैसी बदमाशियां करता था और ना ही बाउजी मुझपर गुस्सा करते थे। कभी कुछ गलतियां कर भी देता तो उसके लिए प्रेम से समझाते और मुझे मेरी घर और समाज के प्रति जिम्मेदारियों का एहसास कराते।
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वक्त बीता.... बाउजी के नक्शे कदम पर चलते हुए मैं बड़ा हुआ और आज इस जगह पर हूँ। मैं उनके ही जैसा बनने की चाह रखने लगा था। कई मायनों में मैंने उनकी बराबरी भी कर ली है और कई मायनों में आगे भी निकल गया हूँ..
अब परिवार में बाउजी दादा जी की जगह पर हैं और मैं उनकी जगह...
लेकिन अब भी उनके व्यवहार के कुछ ऐसे हिस्से हैं जिसे पाने में लिए मुझे शायद कई जन्म लेने पड़ेंगे!
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आज जब उस दिन को याद करके खुद से ही सवाल-जवाब कर रहा हूँ और आदतन उनकी जगह खुद को और दादा जी की जगह उन्हें रखने की कोशिश कर रहा हूँ तो..
अचानक दिल धक्क सा रहा गया कि अगर मुझसे मेरा असमान छीन जायेगा तो.. मुझमें तो उनके जैसी मजबूती भी नहीं है, मैं तो टूट जाऊंगा।
सोचो जरा बिना किसी शख्स के कभी उसकी परछाई रहती है क्या!
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#FathersDay
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