Wednesday, June 21, 2017

भूखे भजन

पोलिटिक्स के है खेल निराला
मरै जो पब्लिक मरन दो साला!
.
मंहगा कुरता महंगी जैकिट
ऊप्पर से सेंट जरमनी वाला!
.
अच्छे दिन तुम्हरे कबहूं न होइहैं
लीडर के लाइफ झिंगा ला ला!
.
कसम राम कै मन्दिर होगा
आग लगे या होइ बवाला!
.
गरीब-बेरोजगार कै छत्तीस स्कीम
इनहूँ ने अपना काम निकाला!
.
मंहगाई ने कमर है तोरी
ईद-दिवाली पै निकले दिवाला!
.
देश के जनता भूखी पियासी
हांथन में इनकै अमरत प्याला!
.
लाइन में लग ल्यो सबका मिलेगा
पहिले बोलो हुल्ला ला ला!
.
वोट बैंक हौ तुम सब तो फिर
अरे कइसा गोरा कइसा काला!
.
अपनी उंगली अपने ही करना
नहीं तो होगा देश निकाला!
.
हाथ है तुमपे अखबार चला लो
तुमहूँ छापो खुब मिरच मसाला!
.
जब-जब बोलें, ताली बजाना
लो खाओ लड्डू पहिनो माला!
.
बिजनिस मैन का माफ किये हो
साहब! हमरो कर दो खेती वाला!
.
नहीं मिलेगा ठेंगा बुड़बक
खेल है सब ई पइसा वाला!
.
सैनिक है, उसका काम शहादत
इनने बस अफसोस निकाला!
.
अन्नदाता ने लगा ली फांसी
च्च.. करजे ने उसको मार डाला!
.
योग दिवस के बड़के बैनर-पोस्टर
भूखे भजन न होहिं गोपाला!
.
महाजन के पीछे भीड़ चली है
अब तो बना है वो ऊपरवाला!
.
शब्दभेदी मरो तुम गला फाड़ के
तुम्हरी न कउनो सुनने वाला!

No comments:

Post a Comment