पोलिटिक्स के है खेल निराला
मरै जो पब्लिक मरन दो साला!
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मंहगा कुरता महंगी जैकिट
ऊप्पर से सेंट जरमनी वाला!
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अच्छे दिन तुम्हरे कबहूं न होइहैं
लीडर के लाइफ झिंगा ला ला!
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कसम राम कै मन्दिर होगा
आग लगे या होइ बवाला!
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गरीब-बेरोजगार कै छत्तीस स्कीम
इनहूँ ने अपना काम निकाला!
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मंहगाई ने कमर है तोरी
ईद-दिवाली पै निकले दिवाला!
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देश के जनता भूखी पियासी
हांथन में इनकै अमरत प्याला!
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लाइन में लग ल्यो सबका मिलेगा
पहिले बोलो हुल्ला ला ला!
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वोट बैंक हौ तुम सब तो फिर
अरे कइसा गोरा कइसा काला!
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अपनी उंगली अपने ही करना
नहीं तो होगा देश निकाला!
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हाथ है तुमपे अखबार चला लो
तुमहूँ छापो खुब मिरच मसाला!
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जब-जब बोलें, ताली बजाना
लो खाओ लड्डू पहिनो माला!
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बिजनिस मैन का माफ किये हो
साहब! हमरो कर दो खेती वाला!
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नहीं मिलेगा ठेंगा बुड़बक
खेल है सब ई पइसा वाला!
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सैनिक है, उसका काम शहादत
इनने बस अफसोस निकाला!
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अन्नदाता ने लगा ली फांसी
च्च.. करजे ने उसको मार डाला!
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योग दिवस के बड़के बैनर-पोस्टर
भूखे भजन न होहिं गोपाला!
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महाजन के पीछे भीड़ चली है
अब तो बना है वो ऊपरवाला!
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शब्दभेदी मरो तुम गला फाड़ के
तुम्हरी न कउनो सुनने वाला!
Wednesday, June 21, 2017
भूखे भजन
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