यूँ तो कई हमनवा कई अजीज हैं मेरे, दानिस्ता
हम ही किसी पे यकीं जियादा नहीं करते।
खुदबखुद ही निकल आये कोई तो दुरुस्त हो
किसी को साथ चलने पर आमादा नही करते।
किसी अंजुमन में जाना होता नही फिर भी,
बनिस्बत उन दिनों के रुख़-ए-सादा नहीं करते
इक तूफान इधर से गुजरा, सब ले गया हो जैसे
किसी से निबाह करने का अब वादा नहीं करते।
- शब्दभेदी
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