Sunday, February 12, 2017

आलिंगन पाश

तुम्हारा पहला आलिंगन
याद है मुझे..!
जिस पाश में आज तक
बंधे हुए हैं मेरे रात-दिन।
और बंधी हुई हैं..
मेरी सारी कविताएं।

कोशिश कई दफे की
इससे निकल कर
आजाद साँस लेने कि
लेकिन दम घुटने लगता है
इससे बाहर आते ही,
मेरा भी और कविताओं का भी।
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शब्दभेदी

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