Friday, April 22, 2016

मतलब की दुनिया

मतलब की दुनिया है, मतलब से है आदमी,
कौन किसे कब तक याद रखता है !
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शहीदों की चिताओं पर लगते हैं मेले ,
शहादत भूल जाता है, मेले याद रखता है !
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जर, जमीन, तहजीब पुरखों की अमानत है,
पुरखों को भूल जाता है, वसीयत याद रखता है !
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वक्त-वक्त की बात है, याद रहे 'शब्दभेदी'
आदमीं वक्त भूल जाता है , हैसियत याद रखता है !

2 comments:

  1. yha bhi likh dete socialy bycotted :)

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  2. मतलबी है लोग यहाँ पे मतलबी जमाना
    सोचा साया साथ देगा निकला वो बेगाना..
    अपनों में मैं बेगाना..

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