मतलब की दुनिया है, मतलब से है आदमी,
कौन किसे कब तक याद रखता है !
.
शहीदों की चिताओं पर लगते हैं मेले ,
शहादत भूल जाता है, मेले याद रखता है !
.
जर, जमीन, तहजीब पुरखों की अमानत है,
पुरखों को भूल जाता है, वसीयत याद रखता है !
.
वक्त-वक्त की बात है, याद रहे 'शब्दभेदी'
आदमीं वक्त भूल जाता है , हैसियत याद रखता है !
कौन किसे कब तक याद रखता है !
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शहीदों की चिताओं पर लगते हैं मेले ,
शहादत भूल जाता है, मेले याद रखता है !
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जर, जमीन, तहजीब पुरखों की अमानत है,
पुरखों को भूल जाता है, वसीयत याद रखता है !
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वक्त-वक्त की बात है, याद रहे 'शब्दभेदी'
आदमीं वक्त भूल जाता है , हैसियत याद रखता है !
yha bhi likh dete socialy bycotted :)
ReplyDeleteमतलबी है लोग यहाँ पे मतलबी जमाना
ReplyDeleteसोचा साया साथ देगा निकला वो बेगाना..
अपनों में मैं बेगाना..