Monday, January 30, 2017

जश्न-ए-जम्हूरियत


अंधेरों में कब तक घुट-घुट मरेंगे,
चलो उम्मीदों का चराग जलाते हैं!

जो खो दिया हमने सियासत की आंधी में,
आने वाली नश्ल को उससे बचाते हैं!

अमन के बदले नफरतों के जो सौदे हुए,
उनका दे के आते हैं अपना ले के आते हैं!

शब्दभेदी मोहब्बत का इत्र हवा में घोल दो,
आओ हम भी जश्न-ए-जम्हूरियत मनाते हैं!
____________________________
*(जश्न-ए-जम्हूरियत : गणतंत्र का उत्सव)
.
हम और आप.. जैसे कदम-कदम पर देश और देशभक्ति की परिभाषाए गढ़ते हैं वैसे ही सुनिश्चित करें कि जन-जन का तंत्र और उसके उत्सव में देश का आखिरी जन भी पुरे हर्ष के साथ शामिल हो !
बाकी आपको भी हैप्पी रिपब्लिक डे.. आप खुद समझदार हैं..!
जय हो !
हम और आप.. जैसे कदम-कदम पर देश और देशभक्ति की परिभाषाए गढ़ते हैं वैसे ही सुनिश्चित करें कि जन-जन का तंत्र और उसके उत्सव में देश का आखिरी जन भी पुरे हर्ष के साथ शामिल हो !
बाकी आपको भी हैप्पी रिपब्लिक डे.. आप खुद समझदार हैं..!
जय हो !

No comments:

Post a Comment