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अभी नया हूँ
देखना किसी दिन
मुझमें भी दरारें होंगी
और मेरे जर्जर शरीर में भी
उगेंगे कई दरख़्त
कोई नीम, कोई पीपल, कोई बरगद.!
और फिर
देखना एक दिन
मेरी मिट्टी भी मिल जायेगी
मिटटी में, लेकिन
जब तक जीवित हूँ उठाये रहूँगा
कोई छान, कोई छत, कोई छप्पर.!
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शब्दभेदी
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