Saturday, January 14, 2017

भरम इश्क के

रोका है किसने आप भी आईये,
पहले भी आये हैं समझाने बहोत !
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दीवानगी इतनी बुरी चीज फिर भी ,
एक शम्मा के देखो परवाने बहोत !
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बुत मान के मुझसे मुंह फेर लो,
जाओ दुनियां में हैं बुतखाने बहोत !
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दर्द की तिश्नगी हो तो यहां आईये,
वरना घूमों, शहर में है महखाने बहोत !
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शब्दभेदी टूटेंगे सारे भरम इश्क के,
देखें हैं तुझ से दीवाने बहोत !

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