ख्वाहिशों के चित्र उकेरे हैं ज़िन्दगी के पन्ने पे,
रंग भरने को मैं खून-ए-दिल तक उतारूंगा!
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ताज्जुब न करना जो चाँद-तारे मांग बैठूं मैं,
मेरी औकात भर का फलक यहीं पर उतरूंगा!
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उतारे कोई शायर अपने दर्द को गज़लों में जैसे
ऐसे ही मेरे सारे ख्वाब, जमीं पर उतारूंगा !
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शब्दभेदी इस बात को मेरी गुस्ताखी समझो तुम,
सीढ़ी लगा आया हूँ, आफ़ताब छत पर उतारूंगा!
सीढ़ी लगा आया हूँ, आफ़ताब छत पर उतारूंगा.............best lines good luck
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