भागती सड़कें, जगमगाता शहर देखा,
ढिबरी की मद्धम रोशनी में
अपना घर अच्छा लगता है!
.
बड़े फव्वारे, चौक-चौराहे देखा,
छोटी सी पुलिया वाला वो
छोटा नहर अच्छा लगता है!
.
बेगनबोलिया से सजी बगिया देखा,
वो अपने बाग के कोने का
सूखा सजर अच्छा लगता है!
.
बड़े कामों में मसरूफ लोग देखा,
खलिहरी में धूप सेकता
दोपहर अच्छा लगता है!
.
- शब्दभेदी
No comments:
Post a Comment