Saturday, January 14, 2017

अपना घर

भागती सड़कें, जगमगाता शहर देखा,
ढिबरी की मद्धम रोशनी में
अपना घर अच्छा लगता है!
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बड़े फव्वारे, चौक-चौराहे देखा,
छोटी सी पुलिया वाला वो
छोटा नहर अच्छा लगता है!
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बेगनबोलिया से सजी बगिया देखा,
वो अपने बाग के कोने का
सूखा सजर अच्छा लगता है!
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बड़े कामों में मसरूफ लोग देखा,
खलिहरी में धूप सेकता
दोपहर अच्छा लगता है!
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- शब्दभेदी

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