हमेशा जमीन पर खड़े होकर
आसमान की विशालता
को निहारते हुए
बेख़ौफ़ परिंदों को उड़ते देखना
और अपने लिए सिर्फ सपने बुनना
आखिर कितना उचित है !
कभी-कभी आसमान के
बहुत करीब खड़े होकर
जमीन की तरफ देखना,
और भागती-दौड़ती दुनिया में ही
अपना जमीनी किरदार गढ़ना भी
बेहद जरूरी होता है !
- शब्दभेदी
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